कैसे इंग्लैड के 'फॉर्मूले' से टी20 की खतरनाक टीम बन सकती है टीम इंडिया?
<पी स्टाइल ="पाठ-संरेखण: औचित्य;">अब फैंस भारतीय क्रिकेट टीम को टी20 क्रिकेट में लगातार 250-260 रन बनाते देखना चाहते हैं. टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर इस बात को समझते हैं. ऐसा भी लगता है कि इस प्रक्रिया में टीम इंडिया किसी मैच में 120 रन पर आउट हो जाए, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वो फीयरलेस और सेल्फलेस क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे.
वैसे भी टी20 में जब तक आप जोखिम नहीं उठाएंगे तब तक आपको सफलता नहीं मिलेगी. ये शब्द भारतीय कोच गौतम गंभीर के हैं. गंभीर की इस सोच को टी20 टीम ने अक्षरशः मैदान पर उतारा है, और टीम इंडिया को इस प्रयोग में सफलता भी मिली है.
इंग्लैड के खिलाफ खेले गए टी20 मुकाबले में सलामी बल्लेबाज युवा अभिषेक शर्मा ने तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर को कवर्स के ऊपर से चौका लगाया. इसकी चर्चा इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस गेंद से ठीक पहले आर्चर की गेंद अभिषेक के बल्ले के बिल्कुल बगल से गुजर गई. अगर ये मैच दो तीन साल पहले हो रहा होता तो शायद बल्लेबाज पिच और गेंदबाज को समझने के लिए मैदान पर समय बिताता, लेकिन नए अंदाज में टी20 खेलने वाली ये टीम आक्रामक क्रिकेट खेलने पर भरोसा करती है. आर्चर ने तीसरी गेंद लेग स्टंप पर डालने की कोशिश की तो अभिषेक ने जगह बना कर गेंद को एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से बाउंड्री के पार भेज दिया. क्रिकेट खेलने के अंदाज में ये बदलाव नया नहीं है, इससे पहले इंग्लैड की टीम ने भी अपनी टीम और रणनीति में बदलाव किया और उस बदलाव ने उसे वनडे और टी20 का चैंपियन बना दिया. टीम इंडिया ने भी वही राह पकड़ ली है, आइए जानते हैं कि इंग्लैड के फॉर्मूले से कैसे टी20 की खतरनाक टीम बन सकती है टीम इंडिया.
29 जून 2024, वो तारीख जब भारत 11 साल का आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्म कर के विश्व विजेता बना था, लेकिन उसके बाद से टीम इंडिया का प्रदर्शन बद से बदतर ही रहा है. हालांकि, ये खराब प्रदर्शन टेस्ट और वनडे में आया है. पहले श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में हार तो वहीं न्यूजीलैंड के सामने घर पर 0-3 से सूपड़ा साफ हो जाना. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी टीम इंडिया ने 5 टेस्ट मैचों की सीरीज 2-1 से गंवा दी, इसके साथ ड्रेसिंग रूम की किरकिरी ने फजीहत करवाई सो अलग, इस सबके बीच वो एक टीम जो लगातार विरोधी टीमों को धूल चटा रही थी वो थी भारत की युवा टी20 टीम. भारत ने टी20 खेलने के अंदाज को पूरी तरह बदल कर रख दिया है. टी20 विश्व कप 2024 के बाद भारत ने 20 टी20 मुकाबलों में 17 में जीत हासिल की है, जबकि 3 मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा है.
यहां बात सिर्फ जीतने भर तक खत्म नहीं हो जाती है. भारत के टी20 खेलने के तरीके में भी फर्क आया है, जो टीम पावर प्ले में 60 रन बनाकर संतुष्ट दिखती थी अब उस टीम के पास पहले 6 ओवरों में ही रन मीटर को 100 के पास पहुंचा देने का दमखम है. इसका श्रेय कोच गौतम गंभीर और कप्तान सूर्यकुमार यादव को जरूर दिया जाना चाहिए. दोनों के नेतृत्व में टीम का तालमेल बिल्कुल परफेक्ट साबित हो रहा है. भारत को टी20 का सही फॉर्मूला खोजने में कई साल लगे, एडिलेड हो या दुबई, भारत के खराब खेल ने अच्छी टीम होने के बाद भी ट्रॉफी से दूर रखा. हालांकि ये सूखा 29 जून, 2024 को समाप्त हो गया. लेकिन ट्रॉफी जीतने के बाद भारत को वो जीत का वो फॉर्मूला हाथ लगा जिसने एक बिखरी हुई टीम को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया था.
इंग्लैंड की जीत वाला फॉर्मूला
2015 विश्व कप में जब बांग्लादेश के हाथों इंग्लैंड की टीम बाहर हुई, पूरे क्रिकेट जगत में मानों सनसनी फैल गई, ये सवाल उठने लगे कि क्या क्रिकेट के जनक, इस खेल की शैली भूल गए हैं, या फिर विश्व क्रिकेट से इंग्लैंड का सूर्यास्त होने वाला है? इन्हीं सब सवालों के बीच इंग्लैंड ने अपनी टीम में क्रांतिकारी बदलाव किए, ऐसे बदलाव जो उस समय तो सवाल खड़े करने वाले थे, लेकिन भविष्य में इनके सुखद परिणाम दिखे. वो इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड जिसने अपने सबसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज केविन पीटरसन को इसलिए टीम से ड्रॉप कर दिया था क्योंकि वे आईपीएल खेलते हैं, उसी बोर्ड के डायरेक्टर जब पूर्व कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस बने उन्होंने इसे बढ़ावा दिया, बल्कि ल्यूक राइट जैसे खिलाड़ियों को काउंटी क्रिकेट के बदले आईपीएल खेलने के लिए मजबूर किया. इंग्लैंड ने अपने घरेलू क्रिकेट में उन खिलाड़ियों की तलाश शुरू की जो सफेद बॉल के खेल को महत्व देते थे. औसत का महत्व कम होने लगा और स्ट्राइक रेट चर्चा में आने लगा. खिलाड़ियों को उनके प्रमुख रोल दिए गए, विशेष स्थान पर बल्लेबाजी के लिए उसी प्रकार के बल्लेबाज को चुना गया. इंग्लैंड ने इसका बिल्कुल लिहाज नहीं किया कि वो खिलाड़ी कितना फिट है या कितना सीनियर है, अगर वो खिलाड़ी सफेद गेंद के सेट अप में फिट बैठ रहा है, अगर हां तो वो टीम में शामिल होगा.
इंग्लैंड ने 2016 टी20 विश्व कप में इंग्लैंड की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने वाले जो रूट को टी20 टीम से ड्रॉप कर दिया. 2015 वनडे विश्व कप के बाद अपने दो सीनियर गेंदबाज जेम्स एंडरसन और स्टूअर्ट ब्रॉड को वनडे और टी20 टीम से बाहर कर दिया. इंग्लैंड के पास जेसन रॉय, एलेक्स हेल्स, जॉनी बेयरस्ट्रो जैसे तूफानी बल्लेबाज थे, जो किसी भी समय बल्ले से मैच का रुख मोड़ सकते हैं, तो मैच फिनिशर के तौर पर जॉस बटलर की मौजूदगी उस टीम को और खतरनाक बनाती थी. गेंदबाजी में मार्क वुड, जोफ्रा आर्चर और डेविड विली ने जगह बनाई तो मिडिल ओवर्स के लिए लियाम प्लंकेट पर दांव खेला गया.
इंग्लैंड ने हर स्थान के लिए एक विशेष खिलाड़ी का चुनाव किया. गेंदबाजी में पावर प्ले के लिए अलग गेंदबाज और अंतिम के ओवरों के लिए स्पेशलिस्ट गेंदबाजों की फौज तैयार की. गेंदबाजों को डिफेंस से ज्यादा अटैकिंग गेंदबाजी करने पर जोर दिया गया. इंग्लैंड को इस क्रांतिकारी बदलाव का फायदा दिखा और 2022 में इंग्लैंड ने टी20 विश्व कप का खिताब अपने नाम किया.
भारत और टी20 क्रांति
टी20 विश्वकप जीतने के बाद भारत ने भी कुछ इसी तरह का जोखिम उठाया. इसमें सबसे बड़ी चुनौती थी हार का डर भगाने की और भारत ने उस चनौती से भी पार पा लिया. जहां 2021 के टी20 विश्व कप में हमने देखा था कि पाकिस्तान से पहला मुकाबला हारने के बाद टीम ने पैनिक बटन दबा दिया, अपने सबसे सफल ओपनर रोहित शर्मा को तीन नंबर पर भेजा गया और नंबर तीन के बल्लेबाज विराट कोहली चार पर बल्लेबाजी करने आए. अब इस तरह के फैसलों की टीम में कोई जगह नहीं थी. खिलाड़ियों में से फेल होने के डर को समाप्त किया गया, उन्हें ये विश्वास दिलाया गया कि टीम को अपने खिलाड़ियों में इनवेस्ट करना है लिहाजा नतीजों के दम पर खिलाड़ी की काबिलियत का आंकलन नहीं होगा. टीम के खिलाड़ियों में से हार जाने का डर, या यूं कहें खुद के प्रदर्शन का दबाव समाप्त हो गया. ऐसा होने पर टीम के खिलाड़ी खुद के लिए नहीं बल्कि टीम के लिए खेलते हैं और उनके मन से अतिरिक्त दबाव समाप्त हो जाता है. जैसे मॉर्गन ने इंग्लैंड की टीम से हार का डर समाप्त कर दिया था.
भारत को अभिषेक शर्मा के रूप में एक ऐसा सलामी बल्लेबाज मिल गया है, जो अपने दम पर किसी भी गेंदबाजी आक्रमण के परखच्चे उड़ा सकता है. 17 टी20 मैचों में अभिषेक ने 193 की शानदार स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं. उनके साथ संजू सैमसन की जोड़ी, खतरनाक दिख रही है. हालांकि अभी इस ओपनिंग स्लॉट के लिए यशस्वी जयसवाल और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ी भी दावेदारी ठोंक रहे हैं. जहां पहले सूर्यकुमार यादव ने अपनी जगह बनाई थी, वहां अब युवा तिलक वर्मा दावेदारी मजबूती से पेश कर चुके हैं. नंबर तीन पर खेलते हुए तिलक वर्मा ने 170 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं. इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी20 मुकाबले में उन्होंने बताया कि वे न सिर्फ तेज-तर्रार रन बना सकते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर संयम भी बरत सकते हैं. हालांकि टीम लेफ्ट और राइट के कॉम्बिनेशन को ज्यादा महत्व दे रही है. मध्यक्रम में कप्तान सूर्यकुमार यादव, शिवम दूबे, हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी हैं, जो इनिंग को बिल्ड करने के साथ ही फिनिशर की भूमिका भी निभा सकते हैं. शिवम दूबे ने आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए शानदार प्रदर्शन किया था. आईपीएल में हालांकि उन्हें इम्पैक्ट प्लेयर के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन उनका रोल था स्पिन की चुनौती से निबटना. 2024 के आईपीएल सीजन में स्पिन के खिलाफ उन्होंने 191 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे. टीम में रिंकू सिंह की मौजूदगी मध्यक्रम को और मजबूत बनाती है.
टीम की स्पिन की कमान वरुण चक्रवर्ती के हाथों में है. वरुण ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 टी20 मुकाबलों में 9.85 की औसत से 14 विकेट निकाले हैं. बल्लेबाजों ने उनके आगे सरेंडर कर दिया. इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि आप कितने रन के लिए जा रहे हैं, अगर आप विकेट निकाल कर टीम को देने में सफल हैं तो आप एक सफल गेंदबाज हैं. वरुण ही टीम के स्पिन अटैक की धुरी हैं. इसमें रवि बिश्नोई और अक्षर पटेल जैसे स्पिनर भी हैं जो अपनी विधा के माहिर खिलाड़ी हैं. तेज गेंदबाजी में अर्शदीप सिंह की अगुआई में टीम बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. हार्दिक पांड्या नई गेंद के साथ आक्रामक गेंदबाजी करते हैं तो बीच के ओवर्स में दबाव बनाने का काम फिरकी गेंदबाजों का होता है. भारत ने हर रोल के लिए खिलाड़ियों को चुना है जिन्हें अपना रोल बखूबी पता है. यही कारण है कि इस टीम में कहीं भी कंफ्यूजन नहीं दिखता है.
सूर्यकुमार यादव के लगातार फ्लॉप प्रदर्शन के बाद भी अगर टीम की जीत के ज्यादा चर्चे हैं, ये दिखाता है कि टीम एक बल्लेबाज के इर्द-गिर्द नहीं घूम रही है. संजू सैमसन ने भले ही दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों में लगातार शतकीय पारी खेली, लेकिन बाउंसर के खिलाफ उनकी कमजोरी भी सबके सामने आ रही है. टीम ने सैमसन पर भरोसा दिखाया है, नतीजे न आने के बाद भी मैनेजमेंट ने सैमसन पर अतिरिक्त दबाव नहीं बनाया है. 2018 के आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के ओपनर शेन वॉटसन ने कहा था, "मुझे टीम मैनेजमेंट ने इस बात का आश्वाशन दिया था कि चाहे मैं फेल ही क्यों न हो जाऊं मुझे सभी मैचों में मौका जरूर दिया जायेगा. इस भरोसे ने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया." इसके बाद कैसे वॉटसन ने चेन्नई को चैंपियन बनाने में मदद की वो जगजाहिर है.
जैसे इंग्लैंड ने 2019 के विश्व कप के लिए 2015 से टीम बनानी शुरू कर दी थी, वैसे ही टीम इंडिया ने 2026 विश्व कप के लिए तैयारी शुरू कर दी है. 2026 का टी20 विश्व कप भारत में ही खेला जाना है, ऐसे में भारतीय टीम जीत की दावेदार जरूर होगी. इस बात को बल इसलिए भी मिलता है कि इस टीम में अभी जसप्रीत बुमराह जैसे दिग्गज गेंदबाज को शामिल होना है. ओपनिंग स्लॉट के लिए यशस्वी जयसवाल और शुभमन गिल आने वाले आईपीएल में अपने प्रदर्शन से अपनी दावेदारी जरूर पेश करेंगे. ऐसे में ये टी20 की टीम खतरनाक दिखती जा रही है.
टीम मैनेजमेंट को करनी होगी माथापच्ची
टीम इंडिया की 17 टी20 जीत इस बात की गवाही देती है कि क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में भारतीय टीम इस समय दुनिया की सबसे खतरनाक टीम है. दक्षिण अफ्रीका की तेज विकेट हो, या इंग्लैड का मजबूत बैटिंग अटैक, भारत ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही शानदार प्रदर्शन किया है. अब जब 2026 का टी20 विश्वकप भारत में ही हो रहा है, ऐसे में भारतीय टीम की ये फॉर्म दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है. अब देखना ये होगा कि क्या टीम मैनेजमेंट इसी टीम के साथ जाएगी या फिर टी20 के विशेषज्ञ खिलाड़ियों को दूसरे प्रारूप में जगह देकर कोई प्रयोग किया जाएगा. चूंकि अभी टी20 टीम में कई खिलाड़ियों की दावेदारी पेश होगी, लिहाजा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि टीम मैनेजमेंट के लिए ये "प्रॉब्लम्स ऑफ प्लेंटी" वाली स्थिति होगी.
टीम इंडिया और इंग्लैड की सोच इसलिए भी समान दिखती है, क्योंकि दोनों ही टीम निडर होकर कर क्रिकेट खेलने पर भरोसा रखते हैं. 2015 में जब मोईन अली ने श्रीलंका के खिलाफ हवा में शॉट खेलकर आउट हो गए, और अपने कप्तान इयोन मॉर्गन से कहा मुझे वो शॉट नहीं खेलना चाहिए था, इसपर कप्तान ने मॉर्गन ने कहा, "मोईन मुझे अगले मैच में वो गेंद स्टेडियम के बाहर दिखनी चाहिए." 20 ओवरों में 250 रन बनाने के लिए ज्यादातर गेंदों को स्टेडियम से बाहर मारना होगा. दोनों ही टीमों की ये सोच उस टीम को खतरनाक बनाती है. भारत इंग्लैड के उसी फॉर्मूले पर चल पड़ा है, अब देखना ये है कि क्या ये फॉर्मूला भारत को एक बार फिर टी20 का चैंपियन बना पाएगा या नहीं.