डोनाल्ड ट्रंप के आने से भारतीय खुश, लेकिन यूरोप टेंशन में, सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक सर्वे से पता चला है कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से कौन देश सबसे ज्यादा दुखी और कौन देश सबसे ज्यादा खुश हैं. इसमें भारत को सबसे खुश देशों की श्रेणी में रखा गया है.
डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. लेकिन उनके शपथग्रहण से पहले दुनिया में अजीब सी हलचल है. यूरोप टेंशन में है कि ट्रंप क्या करने वाले हैं. कनाडा, चीन को समझ नहीं आ रहा है. ग्रीनलैंड पर वे पहले ही दावा ठोंक चुके हैं. उधर मुस्लिम देशों में भी एक बेचैनी है. लेकिन सबसे ज्यादा खुश भारत है. ऐसा हम नहीं, एक सर्वे में सामने आया है.
यूरोपीय काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (ECFR) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने चेंजिंग वर्ल्ड पर एक सर्वे किया. इसमें पता चला कि कई देश ट्रंप के रवैये की वजह से टेंशन में हैं. क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडन के विपरीत ट्रंंप काफी सौदेबाजी करते हैं. उन्हें इंटरनेशनल रिलेशन का मतलब सिर्फ बिजनेस समझ आता है. इसकी वजह से अमेरिका के ज्यादातर देश हिले हुए हैं. रूस और चीन जैसे विरोधियों के प्रति ट्रंप का दोस्ताना रिश्ता नजर आ रहा है, जबकि कनाडा या डेनमार्क जैसे नाटो देशों के साथ वे दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रहे हैं.
ECFR-ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत और सऊदी अरब जैसे गुटनिरपेक्ष देश ट्रंप के आने से खुश हैं. क्योंकि उनका मानना है कि ट्रंप से लेनदेन में वे ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जबकि बाइडन सिर्फ यूरोप के देशों से घिरे रहते थे. यूरोप नाराज है क्योंकि उसे चुनाव से सबसे अधिक नुकसान होने की संभावना है. सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत ‘ट्रम्प का स्वागत करने वाले देशों में सबसे आगे है और यूरोप ‘नेवर ट्रम्पर्स’ में सबसे आगे है.
भारत में 82 प्रतिशत लोग ट्रम्प की जीत से खुश हैं. जबकि यूरोप में 28 प्रतिशत और यूनाइटेड किंगडम में 50 प्रतिशत लोग उनके आने से दुखी हैं. यूरोप में केवल 29 प्रतिशत और यूके में 19 प्रतिशत लोग ट्रम्प के सत्ता संभालने से खुश हैं. गैर-यूरोपीय देशों में, दक्षिण कोरिया एकमात्र ऐसा देश है जहां लोग ट्रम्प की जीत को लेकर उत्साहित नहीं हैं.
ट्रम्प ने ग्रीनलैंड को जोड़ने के लिए डेनमार्क पर आक्रमण करने की धमकी दी है. कनाडा को अपने देश में मिलाने का इरादा जताया है. इतना ही नहीं, पनामा को अपने अधीन करने का ऐलान किया है. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर कोई नाटो सहयोगी उनकी बात नहीं मानेगा तो वह रूस को “जो चाहे करने” के लिए प्रोत्साहित करेंगे. उनके सहयोगी, एलन मस्क से लेकर तुलसी गबार्ड तक, सहयोगियों या यहां तक कि लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी नीतियों पर चीन और रूस जैसे विरोधियों का समर्थन करते हैं.
15 जनवरी, 2025, 11:48 अपराह्न IST
ट्रंप के आने से भारतीय खुश, लेकिन यूरोप टेंशन में, सर्वे में हुआ खुलासा