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मैं महिलाओं के खिलाफ हिंसा…’, कैसे मिला ‘संतोष’ बनाने का आइडिया? फिल्ममेकर संध्या सूरी ने बताया

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Sandhya Suri Film Santosh: फिल्ममेकर संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’ महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर बात करती है. इसके लिए उन्होंने भारत में अच्छा-खासा रिसर्च किया है. संध्या सूरी ने बताया कि उन्हें इस मुद्दे पर फिल्म बनाने का आइडिया कैसे मिला था.

हाइलाइट्स

  • ऑस्कर की दौड़ में संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’.
  • विधवा पुलिस कांस्टेबल की कहानी बताती है फिल्म.
  • संध्या सूरी ने बताया कैसे मिला फिल्म का आइडिया.

नई दिल्ली. प्रोड्यूसर और राइटर संध्या सूरी ने अपनी फिल्म ‘संतोष’ को लेकर बात की. उनकी यह मूवी ऑस्कर 2025 की बेस्ट इंटरनेशल फीचर फिल्म कैटेगरी के लिए यूके की तरफ से ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजी गई है. संध्या सूरी ने बताया कि वह महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर बात करने का सार्थक तरीका खोज रही थीं, जिसे उन्होंने फिल्म के माध्यम से बयां किया है.

संध्या सूरी ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, ‘जब मैं भारत में रिसर्च कर रही थी और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ काम कर रही थी, तो मुझे एक तस्वीर मिली. निर्भया मामले के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और यह दिल्ली की एक तस्वीर थी, जिसमें गुस्साई महिला प्रदर्शनकारियों की भीड़ थी, वे गुस्से में थीं और महिला पुलिस अधिकारियों की टीम उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर रही थी. उनमें से एक के चेहरे पर ऐसा भाव था, जिसे देखकर मैं हैरान हो गई.’

कैसे मिला फिल्म का आइडिया?
उन्होंने आगे कहा, ‘उनके और विरोध करने वालों के बीच कितनी खाई है, उनकी वर्दी में कितनी ताकत है और एक आम महिला के रूप में सुरक्षित महसूस न कर पाने की कितनी बेबसी है, ये मैंने देखा. जब मैंने महिला पुलिस आरक्षकों पर रिसर्च करना शुरू किया, तो मुझे अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की सरकारी योजना के बारे में पता चला, जिसमें मृतक पुलिस अधिकारियों के पात्र आश्रित उनकी नौकरी विरासत में पा सकते हैं.

विधवाओं के साथ बिताया वक्त
उन्होंने बताया कि कई विधवाओं के साथ समय बिताने पर पता चला कि कुछ विधवां पहले बहुत सुरक्षित जीवन जी रही थीं, पुलिस प्रशिक्षण शुरू होने तक वे अपने पति या रिश्तेदारों के बिना घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं. उन्होंने कहा, ‘मैं इस जर्नी से बहुत प्रभावित हुई, गृहिणी से विधवा, फिर पुलिसवाली. यह एक ऐसी जर्नी थी, जिसके बारे में मैं लिखना चाहती थी और जिसे मैं देखना चाहती थी,

क्या है संतोष फिल्म की कहानी?
फिल्म ‘संतोष’ के बारे में जानकारी देते हुए संध्या सूरी ने बताया कि यह फिल्म एक युवा विधवा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ग्रामीण भारत में पुलिस कांस्टेबल के रूप में पति की मौत के बाद नौकरी पाती है और एक हत्या की जांच करती है. यह पहली बार है, जब यूके ने इस कैटेगरी के लिए हिंदी भाषा की फिल्म का चयन किया है.

जर्मनी में अंग्रेजी की टीचर रह चुकी हैं संध्या
जर्मनी में अंग्रेजी की शिक्षिका रह चुकीं संध्या ने कहा, ‘फिल्में बनाना मुझे उत्साहित करता था, उनका विश्लेषण करना नहीं. इसलिए मैंने फिल्म स्कूल जाने का फैसला किया, जिससे कुछ अलग करने का रास्ता खुला रह गया. उन्होंने बताया कि गणित में उनकी पृष्ठभूमि ने उन्हें सोचने का एक अनूठा तरीका दिया, जिसे उन्होंने फिल्म निर्माण और फिल्म की कहानी को एक नए नजरिए से देखने के लिए इस्तेमाल किया.

साल 2016 में शुरू किया संतोष पर काम
यूके में नेशनल फिल्म एंड टेलीविजन स्कूल (एनएफटीएस) में डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण में ट्रेनिंग लेने के बाद निर्देशक संध्या ने ‘आई फॉर इंडिया’, ‘अराउंड इंडिया विद ए मूवी कैमरा’ और शॉर्ट फिल्म ‘द फील्ड’ समेत कई डॉक्यूमेंट्री बनाई. ‘संतोष’ पर उन्होंने काम 2016 में शुरू किया था.

ऑस्कर के लिए के लिए भेजी गई फिल्म
संध्या सूरी ने बताया कि उन्हें जब संतोष के ऑस्कर में जाने की खबर मिली तो वह काफी उत्साहित हो गई थीं. उन्होंने बताया, ‘जब मैंने खबर सुनी कि संतोष को कान फिल्म महोत्सव और बाद में ऑस्कर में आधिकारिक प्रतियोगिता के लिए चुना गया है, तो मैं शॉपिंग पर निकली थी और खबर सुनते ही मैंने शॉपिंग छोड़ दी और खुशी से चिल्ला पड़ी. मेरी 11 साल की बेटी भी उस वक्त मेरे साथ थी.’

घर का मनोरंजन

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