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‘ये कितनी बदसूरत है…’ पहली शादी तोड़ी, दूसरी के लिए बदला धर्म, फिर बिजनेसमैन संग बसाया घर पर नहीं मिला सुख

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तस्वीर में नजर आ रही ये लड़की भले आपने बहुत नहीं देखा होगा. लेकिन आपके दादा-नाना इन्हें खूब पहचानते होंगे. ये वो लड़की है, जिनकी जिंदगी काफी दर्दभरी रही. ये कितनी बदसूरत है… कहकर इनके ही परिवार ने खुद से अलग …और पढ़ें

सितारा देवी को ‘कथक क्वीन’ कहा जाता है.

हाइलाइट्स

  • उतार-चढ़ाव से भरी रही पर्सनल लाइफ.
  • रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी ‘नृत्य सम्राज्ञी’ की उपाधि.
  • पद्मभूषण ठुकरा कर की थी भारत रत्न की मांग.

नई दिल्ली. आज के दौर में तकनीक के मदद से क्या कुछ संभव नहीं है. गोरे को काला करना हो या काले के रूई सा सफेद आज सब संभव है. मैकअप के इतने प्रोडक्ट्स आ गए हैं कि उन्हें यूज कर आदमी की काया ही बदल जाती है. लेकिन पुराने दौर में न तो इतने प्रोडक्ट्स थे और न ही इतनी अच्छी तकनीक. इसलिए बॉलीवुड के पुराने दौर में अदाकारों ने सिर्फ अपने दमदार अभिनय और डांस से लोगों के दिलों पर राज किया. बॉलीवुड की पहली डांसर को क्या आप जानते हैं, जिनको खूब ताने मिले. लेकिन उन्होंने हार नहीं वो हारीं तो सिर्फ प्यार के मामले में. कौन हैं ये एक्ट्रेस चलिए बताते हैं आपको.

ये बॉलीवुड की ‘सितारा’ हैं, जिन्हें ‘नृत्य सम्राज्ञी’ कहा गया. इन्होंने ही हिंदी सिनेमा का नृत्य से परिचय कराया था और सिनेमा में डांस को अलग ही लेवल पर ले गईं. बचपन में इन्हें इनके माता-पिता ने अपने घर में काम करने वाली नौकरानी को सौंप दिया था. बात कर रहे हैं ‘कथक क्वीन’ धनलक्ष्मी जिन्हें सितारा नाम से पहचान मिली. सितारा देवी ने अपने डांस के हुनर से खूब शौहरत बटोरी, लेकिन असल जिंदगी दुखों से भरी रही.

रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी ‘नृत्य सम्राज्ञी’ की उपाधि
सितारा देवी का परिवार बनारस का रहने वाला था, लेकिन उनका जन्म कोलकाता में हुआ था. जब सितारा देवी 11 साल की थीं, उनका परिवार मुंबई चला आया. मुंबई आने पर सितारा देवी ने इतिया बेगम पैलेस में रवींद्रनाथ टैगोर, सरोजनी नायडू और सर कोवासजी जहांगीर के समक्ष नृत्य प्रस्तुति दी. रवींद्रनाथ टैगोर उनके नृत्य कौशल से बेहद प्रभावित हुए और फिर कई आयोजनों में नृत्य के लिए बुलाया और उन्होंने ही सितारा देवी को ‘नृत्य सम्राज्ञी’ की उपाधि से नवाजा.

‘मदर इंडिया’ के बाद नहीं किया डांस
जब वह 12 साल की हो गईं तो फिल्मों में नृत्य प्रस्तुति देना शुरू कर दिया. 1940 में रिलीज हुई उषा हरण, 1938 में आई रोटी, 1951 में आई नगीना में उन्होंने परफॉर्म किया. वहीं, 1957 में आई मदर इंडिया में उन्होंने पुरुष वेश में होली नृत्य करके सबका मन मोह लिया, लेकिन इसके बाद उन्होंने नृत्य करना बंद कर दिया.

नृत्य और कला में योगदान के लिए सितारा देवी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. फाइल फोटो.

पहली शादी खुद तोड़ी, दूसरी के लिए बदला धर्म
जब सितारा देवी 8 साल की थीं तभी उनकी पहली शादी हुई थी, लेकिन नृत्य शिक्षा पर फोकस करने के लिए उन्होंने ये शादी तोड़ दी. फिर उन्होंने अपने से 16 साल बड़े नजीर अहमद से शादी कर ली. इस शादी के लिए उन्होंने अपना धर्म बदल लिया, दोनों हिंद पिक्चर्स स्टूडियो में पार्टनर थे. फिर दोनों में अनबन शुरू हो गई और सितारा देवी पति नजीर अहमद के भतीजे के, आसिफ के करीब आ गईं. साल 1944 में पति को छोड़ सितारा देवी ने के आसिफ से शादी कर ली. लेकिन, फिर के आसिफ ने ही सितारा देवी की दोस्त से दूसरी शादी कर ली.

गुजराती बिजनेसमैन से की तीसरी शादी
प्यार में धोखा मिलने के बाद एक बार फिर सितारा का दिल धड़का. उन्होंने इस बार बिजनेसमैन को हमसफर बनाने के फैसला किया. के आसिफ से अलग होने के बाद सितारा देवी ने गुजराती बिजनेसमैन प्रताप बरोट से शादी कर ली. दोनों का एक बेटा भी हुआ, जिसका नाम दोनों ने रंजीत रखा. लेकिन ये शायद शादी की सुख उनकी किस्मत में ही नहीं था, क्योंकि ये रिश्ता भी लंबे समय तक नहीं टिक सका और दोनों अलग हो गए.

पद्मभूषण ठुकरा कर की थी भारत रत्न की मांग
नृत्य और कला में योगदान के लिए सितारा देवी को पद्मश्री पुरस्कार और संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने ये कहते हुए इस अवॉर्ड को ठुकरा दिया कि उन्होंने खुद के लिए भारत रत्न की मांग की थी. हालांकि उनकी ये मांग अब तक अधूरी ही है. 25 नवंबर 2014 को उन्होंने अंतिम सांस ली और दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गईं.

ढालना

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