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Surya Saptami 2025 Significance of Surya Namaskar on Ratha Saptami


रथ सप्तमी पर सूर्य पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है. श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब से भी इस व्रत और सूर्य पूजा करवाई थी,मान्यता है कि इससे सांब की कोढ़ की बीमारी दूर होने में मदद मिली थी.

रथ सप्तमी सूर्य से जुड़ा पर्व है इसलिए इस दिन सूर्य नमस्कार का महत्व ज्यादा है. ‘सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है. इससे न सिर्फ लंबी आयु बल्कि आरोग्य की प्राप्ति होती है.

हिंदू धर्म में संख्या 108 को अस्तित्व की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है. ऐसे में रथ सप्तमी के दिन सूर्य की रोशनी में 108 बार सूर्य नमस्कार करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार तेजी से बढ़ता है.

सातवें दिन, सूर्य नमस्कर का प्रदर्शन करते समय, किसी को इस मंत्र का जाप करना चाहिए – ‘आदित्यस्य नामास्करन ये कुरंटी डाइन डाइन। दीर्घायु, ज्ञान, शक्ति, वीर्य और वैभव का जन्म होता है। सूर्य नमस्कर स्मृति की शक्ति को बढ़ाता है और समाचार सही है। जो आपकी चिंता को दूर करता है।

सूर्य नमस्कार में 12 आसन ही क्यों है – इसमें भगवान सूर्य के 12 रूपों को 12 मुद्राओं में नमस्कार किया जाता है, इसलिए सूर्य नमस्कार 12 बार किया जाता है.

सूर्य नामास्कर में 12 आसान के नाम प्राणसाना, हुस्ता उत्तरानसाना, हस्तपदासना, आश्वा सांचेनाना, अदोमुख साननासन, अष्टांग नमस्कर, भुजंगासना, पार्वताासन, अश्वा सांचानाना, तादासना और हास्टपादान

पर प्रकाशित: 03 फरवरी 2025 08:26 PM (IST)

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