Unknown secret of Naga Sadhu mysterious facts and daily lifestyle in mahakumbh 2025
सामान्य व्यक्ति आमतौर पर अवधूत की धुन में दिखने वाले नागा साधुओं को कुंभ मेले में ही देख पाते हैं, क्योंकि बाकी के दिनों में ये बाहरी दुनिया से गायब होते है.
नागा शब्द संस्कृत के ‘नग’ से बना है. नग मतलब पहाड़ यानी पहाड़ों या गुफाओं में रहने वाले नागा कहलाते हैं. नागा साधु नग्न अवस्था में ही रहते हैं. उनका वस्त्र होता है भस्म.
नागा साधुओं को इसलिए नागा कहा जाता है क्योंकि नागा का अर्थ खाली होता है. इसका अर्थ है कि नागा साधु केवल भक्ति और अध्यात्म के ज्ञान के अलावा बाकी चीजों को शून्य मानते हैं.
नागा साधु सदा शिव की भक्ति में लीन रहते हैं. महाकुंभ में नागा साधु सुबह दैनिक प्रक्रिया के बाद धूनी रमाते हैं और फिर सूर्य स्नान करते हैं, जो खुले आसमान के नीचे होता है.
बाल भोग लगाने के बाद नागा साधु को अगर खाने को कुछ मिल गया तो खा लिया नहीं मिला तो नहीं खाया. खाने पर भी संयम रखते हैं ताकि तपस्या में कोई बाधा न आए.
नागा साधुओं को दशनामी भी कहा जाता है. कठोर तपस्या, सात्विक आहार, नाड़ी शोधन और अग्नि साधना करने के कारण नागा साधुओं को ठंड नहीं लगती है.
पर प्रकाशित: 16 जनवरी 2025 04:33 अपराह्न (IST)